शिक्षक दिवस: बस 1 दिन का सम्मान, 364 दिन ना सुविधाएं और ना मान!

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Teacher’s Day: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन के जन्मदिवस पर पूरे देशभर में शिक्षक दिवस मनाया गया. कैलेंडर की तारीखों में, 5 सितंबर को हर साल शिक्षक दिवस के रुप में मनाकर, हम इस दिन की इतिश्री तो कर लेते हैं.लेकिन उन संकल्पों को कभी पूरा नहीं कर पाते, जिनकी शपथ हर शिक्षक दिवस पर लेते हैं.इस शिक्षक दिवस पर भी एक सवाल है कि, क्या वाकई मौजूं हैं, मौजूदा समय में शिक्षक दिवस के मायने? क्या हम शिक्षकों को सम्मानजनक माहौल दे पा रहे हैं?

झारखंड में  फेल होने पर बच्चों ने शिक्षकों को पेड़ से बांधकर पीटा
दरअसल, ये सवाल इसलिए है क्योंकि, आजादी के 75 साल बाद भी शिक्षकों को वो सम्मान नहीं दे पाए हैं.झारखंड का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें परीक्षा में फेल होने पर स्कूली बच्चों ने शिक्षकों को पेड़ से बांधकर पीटा. उनके साथ दुर्व्यवहार किया. अब पेड़ से बंधे उन शिक्षकों को किस मुंह से बधाई देंगे?

शिक्षक एक और काम अनेक
हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बार-बार कह चुके हैं कि, पढ़ाना है शिक्षकों का काम…लेकिन व्यवस्था की मौजूदा बिसात पर, शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा सारे काम कराए जाते हैं. शिक्षक एक और काम अनेक यानि, जनगणना से लेकर आर्थिक गणना और बाल गणना तक…राशन कार्ड से लेकर सत्यापन के काम तक…वोटर आईडी से लेकर चुनाव ड्यूटी तक…अब तो भूसा इकट्ठा करने से लेकर छुट्टा जानवरों तक की जिम्मेदारी भी शिक्षकों को दे दी जाती है…कोरोना काल में भी कंट्रोल रुम में दिखा था इन शिक्षकों का किरदार…जबकि, 2015 से लेकर 2022 तक अदालतें कई बार कह चुकी हैं कि, आपात हालात को छोड़कर शिक्षकों से काम ना कराए जाएं।

नौकरी का इंतजार, कैसे मनाएं शिक्षक दिवस
देश का कोई कोना हो या उत्तर प्रदेश की परिधि. शिक्षकों के हिस्से में सुविधाओं के नाम पर संघर्ष ही ज्यादा है. ज्यादातर स्कूल दूर-सुदूर इलाकों में है,  ये आंकड़ा करीब 70 फीसदी है जहां पहुंचकर सबक से पहले मीड-डे मिल का स्वाद समझना पड़ता है. वहीं दुख और दर्द उन युवाओं का भी बड़ा गहरा है, जो शिक्षक बनने के लिए सालों से इंतजार में है…नई नौकरी का दर्द…पेपर लीक का पुराना मर्ज…शिक्षामित्रों का मानदेय हो या अनुदेशकों का मसला…UP टेट की बात हो या बीएड का मुद्दा…अधूरी भर्ती से लेकर नई भर्ती तक…ये हर सरकार में…हर साल का, अनसुलझा सवाल है. आखिर कब मिलेगा जवाब?

शिक्षकों के कर्ज का फर्ज?

भविष्य के इन निर्माताओं के भूतकाल और वर्तमान को कुरेदें तो पीड़ा के तमाम पन्ने मिल जाएंगे…ऐसे में सवाल ये है कि, क्या हर साल शिक्षक दिवस के नाम पर शब्दों की माला गले में डाल देते से सार्थक हो जाएंगे शिक्षक दिवस के मायने… सवाल ये भी है कि, क्या हर साल नए संकल्पों की शपथ वाली रस्मअदायगी से अदा हो जाएगा…शिक्षकों के कर्ज का फर्ज?

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