Alert: ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के नाम पर आपको चूना लगा सकती है ये साइट

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गाजियाबाद : अगर आप भी अपने वाहन का पंजीयन, उसका टैक्स या फिर उसके लाइसेंस की फीस जमा कराने वाले हैं तो हमारी यह खबर आपके लिए पढ़ना बेहद जरूरी है क्योंकि हाल में ही प्रदेश में परिवहन विभाग के संज्ञान में एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसमें कुछ शातिर लोगों द्वारा फर्जी वेबसाइट बनाकर वाहन पंजीयन, वाहन का टैक्स एवं लाइसेंस की फीस जमा कराई जा रही है जोकि पूरी तरह से फर्जी है.

दरअसल, दलालों की एक्टिविटी के लिए कुख्यात आरटीओ ने अपनी छवि बदलने और इस मुसीबत से निकलने के लिए लम्बे समय से संघर्ष कर रहा है. पारदर्शिता के लिए उसने पूरे सिस्टम को ऑनलाइन कर दिया गया. लर्निंग लाइसेंस के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर वाहनों का टैक्स भरने तक का सारा काम ऑनलाइन किया जाने लगा लेकिन फिर भी दलालों से मुक्ति नहीं मिल सकी. उन्होंने अपनी कारस्तानी दिखा दी और आरटीओ की एक फर्जी वेबसाइट ही बना डाली. इसके बाद लोगों को ठगने लगे. तमाम लोग इस वेबसाइट पर ही डीएल के लिए रजिस्ट्रेशन करा हजारों रुपये गंवा चुके हैं.

ये मामला परिवहन विभाग के संज्ञान में तब आया. जब लोग अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए परिवहन विभाग के ऑफिस पहुंचे. जब इस ठगी की खबर विभाग को हुई तो आनन-फानन में फर्जी वेबसाइट से बचाने के लिए परिवहन विभाग ने सभी संभागीय परिवहन कार्यालयों को मुख्यालय द्वारा आदेश जारी कर दिए. जिसमें बताया गया है कि सभी अपने जनपद के लोगों को आरटीओ की फर्जी वेबसाइट से सचेत कर दें और ज्यादा से ज्यादा इसका प्रचार-प्रसार करें ताकि फर्जी वेबसाइट के जरिए लोगों की ठगी होने से बचाव हो सके.

वहीं गाजियाबाद के एआरटीओ विश्वजीत प्रताप सिंह ने बताया कि संभागीय परिवहन कार्यालय को मुख्यालय से एक पत्र जारी हुआ है. जिसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि परिवहन विभाग की एक फर्जी वेबसाइट www.rtoonline.com तैयार का गई है. जिसके जरिए आम लोगों के साथ बड़ी ठगी की जा रही है. जिसे ध्यान में रखते हुए और लोगों को सचेत करने के उद्देश्य से जनहित में यह जानकारी दी जा रही है कि परिवहन विभाग की असली वेबसाइट “parivahan.gov.in ” है. इसके अलावा यदि कोई भी शख्स किसी और वेबसाइट के जरिए पैसा जमा करता है तो वह वैध नहीं माना जाएगा.

साथ ही उन्होंने मीडिया के माध्यम से भी लोगों से अपील की है कि यदि किसी भी आमजन को अपने वाहन के पंजीयन, उसका टैक्स या फिर लाइसेंस से संबधित कोई भी फीस जमा करानी है तो वह केवल और केवल परिवहन विभाग की “parivahan.gov.in वाली वेबसाइट पर ही जमा कराए. इसके अलावा किसी भी वेबसाइट के जरिए जमा कराई गई फीस मान्य नहीं होगी.

हालांकि एआरटीओ विश्वजीत प्रताप सिंह का कहना है कि यह पत्र मुख्यालय से गाजियाबाद संभागीय परिवहन विभाग को जरूर प्राप्त हुआ है लेकिन अभी तक जनपद गाजियाबाद में इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है लेकिन लोगों को इस बारे में सचेत रहने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा है कि यदि कोई भी शख्स अपने वाहन के पंजीयन,वाहन का टैक्स, लाइसेंस या परिवहन विभाग के खाते में अन्य कोई भी फीस जमा कराता है तो उसके लिए विभाग जिम्मेदार नहीं होगा.

साइबर ठगों ने लोगों को झांसे में फंसाने के लिए वेबसाइट का नाम आरटीओ रख दिया क्योंकि अधिकतर लोग ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को आरटीओ के नाम से ही जानते हैं. गूगल पर आरटीओ के नाम से ही वेबसाइट को सर्च करते हैं. विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट का बहुत कम लोगों को पता होती है. यही वजह है कि ठगों ने विभाग की वेबसाइट को आरटीओ ऑनलाइन डॉट कॉम (www.rtoonline.com) नाम दे दिया. फिलहाल लोगों को इस ठगी से बचाने के लिए अवेयर किया जा रहा है. इसके लिए विभाग की ओर से प्रमुख स्थानों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे. यह ठगी शहर से ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के आवेदकों से की गई है. इसलिए कोई भी कार्रवाई होगी तो ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के स्तर से ही होगी. जिसके लिए आवेदक अपने साथ हुई ठगी की रिपोर्ट व्यक्तिगत रूप से दर्ज करा सकते हैं.

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